Bhakti Bhajan Lyrics Diary
चंचल मन निशदिन भटकत है हिंदी भजन लिरिक्स
WhatsApp Group
Join Now
चंचल मन निशदिन भटकत है हिंदी भजन लिरिक्स
चंचल मन निशदिन भटकत है
एजी भटकत है भटकावत है ॥ टेक ॥
जिम मर्कट तरु ऊपर चढकर डार डार पर लड़कत है ॥
रुकत जतन क्षण विषयन तें फिर तिनही में अटकत है ॥
काच के हेत लोभकर मूरख चिंतामणि को पटकत है ॥
ब्रम्हानंद समीप छोडकर तुच्छ विषय रस गटकत है ॥
Telegram Group
Join Now
Leave Message