Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
प्रकाशित: 15 May, 2025
चंचल मन निशदिन भटकत है हिंदी भजन लिरिक्स
चंचल मन निशदिन भटकत है
एजी भटकत है भटकावत है ॥ टेक ॥
जिम मर्कट तरु ऊपर चढकर डार डार पर लड़कत है ॥
रुकत जतन क्षण विषयन तें फिर तिनही में अटकत है ॥
काच के हेत लोभकर मूरख चिंतामणि को पटकत है ॥
ब्रम्हानंद समीप छोडकर तुच्छ विषय रस गटकत है ॥
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
Leave Message