बाबाजी रति नाथजी के भजन लिरिक्स हिंदी लिखित में पीडीऍफ़

तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा भजन हिंदी लिरिक्स

तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा भजन हिंदी लिरिक्स
तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा |
तेरे काया नगर में हीरो रे, हेरे से पावैगा ||
 
कारीगर का पिंजरा रे भाई , तने घडल्यायो करतार |
शायर करसी सोधना रे, मूरख करे रे मरोड़ |
रोष मन मायले में ल्यावेगा || १ ||
 
मन लोभी मन लालची रे भाई , मन चंचल मन चोर |
मन के मत में न चालिए रे , पलक पलक मन और |
जीव के जाळ घालावणा || २ ||
 
ऐसा नान्हा चालिए रे भाई , जैसी नान्ही दूब |
और घास जळ ज्यायसी रे , दूब रहेगी खूब |
फेर सावन कद आवेगा || ३ ||
 
साईं के दरबार में जी भाई, लम्बी खड़ी खजूर |
चढ़े तो मेवा चाख ले रे , पड़े तो चकनाचूर |
फेर उठण कद पावैगा || ४ ||
 
जैसे शीशी कांच की रे भाई, वैसी नर के देह |
जतन करंता जायसी रे, हर भज लावा लेय |
फेर मौसर कद आवेगा || ५ ||
 
चन्दा गुडी उड़ावता रे भाई, लम्बी देता डोर |
झोलों लाग्यो प्रेम को रे, कित गुडिया कित डोर |
फेर कुण पतंग उड़ावणा || ६ ||
 
ऐसी कथना कुण कथी रे भाई, जैसी कथी कबीर |
जलिया नाही, गडिया नाही रे , अमर भयो शरीर |
पैप का फूल बरसावेगा || ७ ||
 
तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा, 
तेरे काया नगर में हीरो रे, हेरे से पावैगा .....

 

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