भोर भई बैठा होज्या ओ: प्रभाती राग में लोकप्रिय भजन के लिरिक्स
प्रकाशित: 13 Jun, 2025
चान्दनिय में चमक चीर-चीरतो ओढ़सी म्हारो धर्म रो वीर।
वीर म्हारा चन्दारे सन्देसो ल्यादे म्हारी मायको।
रस्ते चलतो एक बिणजारो बिण म बिणदवा आयो।
जाणु नहीं परायो बीरो काँइ काँई लादकर ल्यायो।
विश्राम करे पीपल तले बीरी छांया गहर गम्भीर।।1।।
तिस लागी बिणजारो म्हारो पाणी पीवण आयो।
सास हुकमसु भरकर लोटो ठण्डो पाणी पायो।
चीर री आस क्यू करी घात नेणासु ठबके नीर ।।2।।
विणजारो सब विषम भूलग्यो, भूलग्यो रोटी खाणी।
चूंघट उघाड़ बाई मुखड़ो दिखादे नहीं थारे दिलड़ेरी जानी।
बीरो बण थारो दुःखड़ो सुणस्यूँ कहो पहुंचादू जान चीर॥3॥
हंस-हंस काम कसेर म्हारा दुःख सुख सहतां सुख आई।
सब कुछ दियो भगवान् दियो नहीं माँरो जायो भाई।
मायरियारी मनमें मारे कुण तो ओढ़ासी चीर।।4।।
सूरज साखीमें धर्म को बीरो फिकर करोमत बाई।
मायारिय में कांई कांई चाईज जल्दी करो लिखाई।
आंगणिय में चढ़करू मायरो, जद आवे दिलड़े में धीर।।5।
थे मत बहाओं नीर ओढ़ो बाई चीर बिरो शिर हाथ धरे।
भाणुड़ारे व्याव में विणजारो मामो बण थारो भात भरे।
शिष केवे ज्यारां धन कदेन घटज्यो बढ़ज्यो ज्यों नदिया को नीर।।6
प्रकाशित: 13 Jun, 2025
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