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    हनुमानजी, बालाजी के पुराने भजन डायरी लिखित में

    ना स्वर है, ना सरगम है, ना लय ना तराना है भजन लिरिक्स

    ना स्वर है, ना सरगम है, ना लय ना तराना है भजन लिरिक्स
    ना स्वर है, ना सरगम है, ना लय ना तराना है |
    ना स्वर है, ना सरगम है, ना लय ना तराना है |
    हनुमान के चरणों में एक फूल चढ़ाना है ||
    बजरंग के चरणों मैं एक फूल चढाना ह,,,
    ना स्वर है, ना सरगम,.........................
     
    तुम बाल समय में प्रभु, सूरज को निगल डाले,
    अभिमानी सुरपति के, सब गरभ मसल डाले,
    बजरंग हुये जब से, संसार ने माना है|| (१)
    ना स्वर है,ना सरगम,..........................
     
    सब दुर्ग ढहा करके, लंका को जलाये तूम,
    सीता की ख़बर लाये, लक्ष्मण को बचाये तुम,
    प्रिय भरत सरिस तुमको, सियाराम  ने माना है || (२)
    ना स्वर है, ना सरगम,.............
     
    जब राम नाम तुमको, पाया ना नगीने में,
    तुम चीर दिये सीना, सियाराम थे सीने में,
    विस्मत जग ने देखा, कपि राम दिवाना है || (३)
    ना स्वर है, ना सरगम,.........................
     
    हे अजर - अमर स्वामी, तुम हो अंतर्यामी,
    में दिन - हीन " चंचल" अभिमानी - अज्ञानी,
    जब तुमने नजर फेरी, मेरा कौन - सहारा है || (४)
    ना स्वर है, ना सरगम,...................

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