सुमिरन बिन सुन्दर काया भजन लिरिक्स | Sumiran Bin Sundar Kaya Chetawani Bhajan Lyrics

    चेतावनी भजन

    • 12 Jul 2025
    • Admin
    • 655 Views
    सुमिरन बिन सुन्दर काया भजन लिरिक्स | Sumiran Bin Sundar Kaya Chetawani Bhajan Lyrics

    Sumiran Bin Sundar Kaya Chetawani Bhajan Lyrics

    सुमिरन बिन सुन्दर काया,
    कहो सजन किस काम की,
    सुमिरण बिन सुन्दर काया।।


    सुन्दर तन हरि में नहीं सुरती,
    जैसे बनी पत्थर की मुर्ती,
    भुसती कुतिया गांव की,
    भुस भुस के नगर जगाया,
    सुमिरण बिन सुन्दर काया।।.

     

    दिपक बिना सोभा ना भवन की,
    धर्म बिना सोभा ना धन की,
    अपने स्वार्थ कारणे,
    नर तजदा माल पराया,
    सुमिरण बिन सुन्दर काया।।


    ज्ञान सुणिया बिना श्रवण कैसा,
    भुमि बीज पड़िया बिन जैसा,
    तुझे कदर नही है काम की,
    नर बिरथा जन्म गमाया,
    सुमिरण बिन सुन्दर काया।।


    कहे सुखराम पार जायेगा कबतक,
    जिवणो हे साँसों के अबलक,
    थारी काया पुतली चाम की,
    काँई अमर पटा लिखवाया,
    सुमिरण बिन सुन्दर काया।।


    सुमिरन बिन सुन्दर काया,
    कहो सजन किस काम की,
    सुमिरण बिन सुन्दर काया।।


    FAQs (Sumiran Bin Sundar Kaya Chetawani Bhajan Lyrics) :- 

    प्रश्न 1:
    ‘सुमिरन बिन सुन्दर काया’ भजन का क्या अर्थ है?
    उत्तर:
    इस भजन का मतलब है कि बिना ईश्वर के स्मरण के शरीर चाहे कितना भी सुंदर हो, उसका कोई महत्व नहीं। असली सुंदरता आत्मा की होती है।


    प्रश्न 2:
    यह भजन किसने लिखा है?
    उत्तर:
    यह भजन पारंपरिक भक्ति साहित्य का हिस्सा है और कई संतों द्वारा इसे प्रचारित किया गया है।


    प्रश्न 3:
    भजन को कहां और कैसे सुन सकते हैं?
    उत्तर:
    आप इस भजन को यूट्यूब, गाना, स्पॉटिफाई और अन्य भक्ति संगीत ऐप्स पर सुन सकते हैं।


    प्रश्न 4:
    क्या इस भजन के साथ अर्थ भी उपलब्ध है?
    उत्तर:
    हाँ, भजन के साथ आमतौर पर हिंदी में अर्थ और व्याख्या भी दी जाती है ताकि भाव को बेहतर समझा जा सके।


    प्रश्न 5:
    क्या यह भजन किसी विशेष अवसर पर गाया जाता है?
    उत्तर:
    यह भजन मुख्य रूप से भक्ति कार्यक्रमों, satsang और आध्यात्मिक आयोजनों में गाया जाता है।


    प्रश्न 6:
    सुमिरन बिन सुन्दर काया भजन सुनने के क्या लाभ हैं?
    उत्तर:
    इस भजन को सुनने से मानसिक शांति मिलती है, मन को स्थिरता मिलती है और ईश्वर की याद आती है।


     

     

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