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    Rati Nath Ji Bhajan Lyrics

    पापी के मुख से राम कोनी निकसै, केशर घुल रही गारा में भजन हिंदी लिरिक्स

    पापी के मुख से राम कोनी निकसै, केशर घुल रही गारा में भजन हिंदी लिरिक्स
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    मिनख जमारो बंदा ऐलो मत खोवै रे, सुखरत करले जमारा नै.
    पापी के मुख से राम कोनी निकसै, केशर घुल रही गारा में ॥टेर॥

    भैस पद्मणी ने गैणों तो पहरायो, कांई जाणै पहरण हारा ने ।
    पहर कौनी जाणै बा तो चाल कोनी जाणै रे, उमर गमादी गोबर गारा में ॥1॥

    सोने के थाल में सूरी ने परोसी, कांई जाणै जीमन हारा ने ।
    जीम कोनी जाणै बा तो जूठ कोनी जाणै रे, हुरड़ हुरड़ करती जमारा ने ॥2॥

    काँच के महल में कुत्ती ने सुवाई, कांई जाणै सोवण हारा ने ।
    सोय कोनी जाणै बा तो ओढ़ कोनी जाणै रे, घुस घुस मरगी गलियारा में ॥3॥

    मानक मोती मुर्खा ने दीन्या, दलबा तो बैट गया सारा नै ।
    हीरा की पारख जोहरी जाणै, कांई बेरो मुरख गँवारा नै ॥4॥

    अमृतनाथजी अमर हो गया जोगी, जार गया काँचे पारा ने ।
    भूरा भजन हरिराम का करले, हर मिलसी दशवां द्वारा में ॥5॥

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