Rati Nath Ji Bhajan Lyrics
घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का भजन हिंदी लिरिक्स
घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का ॥टेर॥
सतगुरु धोरे गया संतसंग में, गुरांजी भे दिया हरि रंग में ।
शबद बाण मर्या मेरे तन में, सैल लग्या ज्यूँ स्यार का ॥
मेरा मन चेत्या भक्ति में ॥1॥
जबसे शबद सुण्या सतगरु का, खुल गया खिड़क मेरे काया मंदिर का ।
मात पिता दरस्या नहीं घरका, दूत लेजा जमराज का ।
तेरा कोई न संगी जगती में ॥2॥
नैन नासिका ध्यान संजोले, रमता राम निजर भरजोले ।
बिन बतलाया तेरे घट में बोले, बेरो ले भीतर बाहर का ॥
अब क्यूँ भटके भूली में ॥3॥
अमृतनाथजी रम गया सुन्न में, मुझको दीदार दिखा दिया छत में ।
मद्यो मगन हो जा भजन में, रुप देख निराकार का ।
अब क्या सांसा मुक्ति में ॥4॥
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