बाबाजी रति नाथजी के भजन लिरिक्स हिंदी लिखित में पीडीऍफ़
बोली एक अमौल ह ज कोई जानें बोल भजन हिंदी लिरिक्स
बोली एक अमौल ह ज कोई जानें बोल ।
पहले भीतर तोल के भाई पाछे बाहर बोल।।
_________________________________________
भर जाता घाव तलवार का
बोली का घाव भरेना रे
बोली का घाव भरेना रे
पीवर का गमन किया भृगु जी की नार ने
ऋषि के उदासी छाई सेवा हु के कारने
उसे देख हंसी आगी लक्ष्मी के भरतार ने
हँसता हुआ देख ऋषि दुख किया मन माय
विष्णु को श्राप दिया क्रोध कर के मन माय
नारी के वियोग में भटकोगे बन माय
दसरथ सुत राजकुमार का
हनुमत बिन काज सरे ना (१)
शंकर और पार्वती बैठे थे कैलाश में
नान्दिये थे पांच संग गऊ चरे घास में
गिरिजा हंस के बोल मार्या पांच पिया पास में
सुणके वचन तब गऊ ने श्राप दिया
क्या हँसे राणी गिरजा तेरे होंगे पांच पिया
शंकर भगवान ने फिर पांच रूप धार लिया
पांचो पति द्रोपती नार के
गऊ माता का वचन टले ना (२)
द्रोपती ने बोल मारया दुर्योधन कर्ण को
भवन में था जाळ पेंड सक्या नहीं धरण को
अंधे को बताया अँधा मानहूँ के हरण को
जुए बिच कोरव जीते पांडव लगे हारणे
द्रोपती सभा में आयी बोलिहूँ के कारणे
दुशासन सभा में लाग्या चीर को उतारणे
जिन्हें नाम लिया करतार का
तेरा पंच पति सहाय करेना(३)
विष की भरी है बोली अमीरस की खान है
बोली से अनादर होता बोली से महान है
बोली से नरकों में जाता बोली हसे कल्याण है
बोली का विचार करो सार चीज पावोला
जन्म मरण दुख भव से तिर ज्यावोला
माधव कहे मिले सुख जब गम खावोला
सुमिरन कर सरजन हार का
उस बिन कोई विपत्त हरे ना(४)
WhatsApp Group
Join Now
Telegram Group
Join Now
Post Your Comment