Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
प्रकाशित: 15 May, 2025
भजन उपदेश को
कौन चीज दुनियां में तेरी, मेरी मेरी कर रांखी ।
कितनी तेरे साथ जायगी, धन की ढेरी कर रांखी॥ टेर ॥
जिस दिन तूं दुनियां में आया, बता साथ में ल्याया के।
नो दस मास गर्भ में बीत्या, अन्न पाणी बिन खाया के ।।
ब्याज भरोसे मूल खो दिया, जग में आय कमाया के।
तेरी मेरी करता 'डोल्या, कदे हरि गुण गाया के ॥
कुछ नहीं तेरा इस दुनियां में, क्यों तूं तेरी कर रांखी ॥१॥
धन माया सुत बन्धु नारी, जिसको समझे अपना तू।
आखिर तक ये साथ रहेंगे, झूठा देखे सपना तू॥
कुछ नहीं आखिर साथ जायेगे, जिसकी करे कलपना तू।
मो माया में फंस के भूल्या, राम नाम का जपना तू।
बाजीगर ने खेल रचाया, या हथफेरी कर रांखी ॥ २॥
जब तक इस अस्थि पिंजर में प्राण पखेरू बसे हुए।
तब तक दुनियां के झगड़ों में बुरी तरह से फंसे हुए॥
काम क्रोध मद लोभ मोह में, चोतरफा सें कसे हुए।
कितने मर्द गर्द में मिलगे, सिर कटने पर हंसे हुए।
तू किसका है कुण तेरा क्यों, झूठी - मनसा कर रांखी ॥ ३॥
इस दुनियां में पैदा होगे, शूरवीर बलवान कई।
मृत्युः तक जो जीत लिया था, पाये थे वरदान कई॥
बदनामी सिर धर के मरगे होगे थे हैरान कई।
राम नाम का सुमरण करके, तिरगे थे इन्सान कई ॥
हरनारायण हरि गुण गावो, क्यों ये देरी कर राखी ॥४॥
गायक व प्रेषक :- प्रेम जी
+919610961001
प्रकाशित: 15 May, 2025
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