Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
प्रकाशित: 15 May, 2025
भजन शीर्षक:
भजन झूठ बराबर पाप को, राम नाम के नाम बराबर और दूसरा तप कौनौ ||
भजन झूठ बराबर पाप नहीं है,
साँच बराबर तप कौनौ।
राम नाम के नाम बराबर,
और दूसरा तप कौनौ।।
सत्यव्रती सा ऋषि नहीं है,
वेद व्यास सा ज्ञानी नों।
हनुमान सा भक्त नहीं है,
सीता री मर्यादानी नों।।
लक्ष्मण सा आज्ञाकारी,
लव कुश री रघुरानी नों।
कृष्ण सा दानी और धर्मज्ञ,
कर्ण सम दानी नों।।
बलराम सा भार धारणीय,
शेष समान सर्प कौनौ।।
चन्द्र समान शीतल और नां,
सूरज सा प्रकाशी नों।
वायु समान चंचल कौन है,
गंगाजी सा पवित्र कौन।।
सागर सी गम्भीरता और में,
सुरपुरी सी सुन्दरता कोई नहीं।।
धरती सी सहनशील और,
हरिश्चंद्र सा सत्यवादी नों।
भरत जैसा भ्राता और नां,
तीर्थों जैसा ज्ञान कोई नहीं।।
जिनके मन में आत्मा बसै,
वो संत तुल्य भक्त वही।
भक्तों जैसा जीवन जियै,
वो भव से तरि जात वही।।
इस भजन में कहा गया है कि झूठ सबसे बड़ा पाप है और सत्य, तपस्या और राम नाम से बड़ा कुछ नहीं। यह भजन हमें सच्चाई, भक्ति, संयम और मर्यादा का महत्व समझाता है। इसमें भारतीय धर्म ग्रंथों और पात्रों जैसे श्रीराम, सीता, हनुमान, भरत, कृष्ण आदि के गुणों की तुलना की गई है और बताया गया है कि उनमें जैसी श्रेष्ठता पाना कठिन है। यह एक प्रेरणात्मक भजन है जो जीवन को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
"भजन झूठ बराबर पाप को" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक दिशा है। यह भजन हमें बताता है कि सत्य, भक्ति, संयम और सद्गुण ही जीवन का असली धन हैं। इसे नियमित रूप से पढ़ना और गाना मन को शांति और आत्मा को बल देता है।
प्रकाशित: 15 May, 2025
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