Rati Nath Ji Bhajan Lyrics
सतगुरुवाँ से मिलबा चालो ऐ, सजो सिनगारो भजन हिंदी लिरिक्स
सतगुरुवाँ से मिलबा चालो ऐ, सजो सिनगारो ॥टेर॥
नीर गंगाजल सिर पर डारो, कचरो परै विडारो ये ।
मन मैले ने मल मल धोल्यो, साफ हुवै तन सारो ये ॥1॥
गम को घाघरो पैर सुहागण, नेम को नाड़ो सारो ये ।
जरणा री गाँठ जुगत से दिज्यो, लोग हँसेगो सारो ये ॥2॥
सत की स्यालु ओढ़ सुहागण, प्रेम की पटली मारो ये ।
राम नाम को गोटो लगाकर, ज्ञान घूंघटो सारो ये ॥3॥
ओर पियो मेरे दाय कोनी आवै, पियो करुँ करतारो ये ।
मेरो पियो मेरे घट में बसत है, पलक होवे न न्यारो ये ॥4॥
नाथ गुलाब मिल्या गुरु पुरा, म्हाने दियो शबद ललकारो ये ।
भानी नाथ गुराँजी के शरणै, सहजाँ मिल्यो किनारो ये ॥5॥
WhatsApp Group
Join Now
Telegram Group
Join Now
Leave Message