सतगुरुवाँ से मिलबा चालो ऐ, सजो सिनगारो भजन हिंदी लिरिक्स

    रति नाथ भजन

    • 20 Jul 2025
    • Admin
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    सतगुरुवाँ से मिलबा चालो ऐ, सजो सिनगारो भजन हिंदी लिरिक्स

    सतगुरुवाँ से मिलबा चालो ऐ, सजो सिनगारो ॥टेर॥

    नीर गंगाजल सिर पर डारो, कचरो परै विडारो ये ।
    मन मैले ने मल मल धोल्यो, साफ हुवै तन सारो ये ॥1॥

    गम को घाघरो पैर सुहागण, नेम को नाड़ो सारो ये ।
    जरणा री गाँठ जुगत से दिज्यो, लोग हँसेगो सारो ये ॥2॥

    सत की स्यालु ओढ़ सुहागण, प्रेम की पटली मारो ये ।
    राम नाम को गोटो लगाकर, ज्ञान घूंघटो सारो ये ॥3॥

    ओर पियो मेरे दाय कोनी आवै, पियो करुँ करतारो ये ।
    मेरो पियो मेरे घट में बसत है, पलक होवे न न्यारो ये ॥4॥

    नाथ गुलाब मिल्या गुरु पुरा, म्हाने दियो शबद ललकारो ये ।
    भानी नाथ गुराँजी के शरणै, सहजाँ मिल्यो किनारो ये ॥5॥

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