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    Sant Babir Bhajan Vani Lyrics

    मन रे सत्संग आनंद पाई विषय वासना छोड़ो आपणी भजन लिरिक्स

    मन रे सत्संग आनंद पाई विषय वासना छोड़ो आपणी भजन लिरिक्स

    मन रे सत्संग आनंद पाई विषय वासना छोड़ो आपणी ,

    राम नाम गुण गाई। मन रे सत्संग आनंद पाई।

     

    प्रेम पदारथ मिले सत्संग में , भाग भला सो पाई।

    होई मगन प्रेम रस पीवे , और विषय नहीं चाई।

    मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..

     

    मिनखा तन अमोलक मिलियो , वीरथा मत ना खोई।

    मुक्ति द्वार है इन माहि , बाहर भटके काई।

    मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..

     

    गुरूजी का वचन हिरदे धरले , निर्भय कर दे ताई।

    काल जाल का खटका मिटजे , सत्त में जाई समाई।

    मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..

     

    आतमराम सब घट दरसे , मिथ्या दरसे नाई।

    बागाराम करो नित सतसंग , नित्य मुक्त हो जाई।

    मन रे सत्संग आनंद पाई। टेर। ..

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