हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती लिखित भजन डायरी

    रति नाथ भजन

    • 18 Jul 2025
    • Admin
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    हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती लिखित भजन डायरी
    हर भज हर भज हीरा परख ले,
    हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती ।
    अष्ट कमल पर खेलो मेरे दाता, और बारता सब झूठी ॥टेर॥
     
    इन्द्र घटा ज्यूँ म्हारा सतगुरु आया, आँवत ल्याया रंग बूँटी ।
    त्रिवेणी के रंग महल में साधा लाला हद लूटी ॥1॥

    इण काया में पाँच चोर है, जिनकी पकड़ो सिर चोटी ।
    पाँचवाँ ने मार पच्चीसाँ ने बसकर, जद जाणा तेरी बुध मोटी ॥2॥

    सत सुमरण का सैल बणाले, ढाल बणाले धीरज की ।
    काम, क्रोध ने मार हटा दे, जद जाणा थारी रजपूती ॥3॥

    झणमण झणमण बाजा बाजै, झिलमिल झिलमिल वहाँ ज्योति ।
    ओंकार के रणोकार में हँसला चुग गया निज मोती ॥4॥

    पक्की घड़ी का तोल बणाले, काण ने राखो एक रती ।
    शरण मच्छेन्द्र जति गोरक्ष बोल्या, अलख लख्या सो खरा जती ॥5॥
     
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