राम नाम का सुमरण करले, भव सागर सें तिर ज्यासी भजन लिखित में

    चेतावनी भजन

    • 10 May 2025
    • Admin
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    राम नाम का सुमरण करले, भव सागर सें तिर ज्यासी भजन लिखित में

    भजन: राम नाम के सुमरण को चेतवानी भजन लिखित में

     

    राम नाम का सुमरण करले, भव सागर सें तिर ज्यासी।

    फिर पछिताये होता क्या जब, काल शीश पर फिर ज्यासी ।। टेर ।।

     

    राम नाम से पापी नर भी, तिर ज्याया करते।

    हरि भक्तों सें जम राजा भी, डर ज्याया करते ।।

    मूंजी पूंजी जोड़ जोड़ के, मर ज्याया करते।

    पर उपकारी चोट धर्म की, सह ज्याया करते ।।

    हरि भजसी सो पार उतरसी, मूरख पच पच मर ज्यासी ।॥ १ ॥

     

    सूनी खेती बिना धणी के, लुट ज्याया करती ।।

    सत संगत से खोटी आदत, छुट ज्याया करती।

    चोर जार की पैठ गांव से, उठ ज्याया करती ।।

    बदमाशों का टाट अन्त में, कुट ज्याया करती।

    पर उपकारी दातारी नर, सफल जिन्दगी कर ज्यासी ।। २ ।।

     

    मां के जाये भाई भाई, फट ज्याया करते।

    जरा जरा सी बातों में, सिर कट ज्याया करते ।।

    पक्ष पार्टी बन कर के घर लुट ज्याया करते।

    घर में फूट फैल जाती तब, पिट ज्याया करते ।।

    समझदार नर भव सागर सें, हरि भज पार उतर ज्यासी ॥ ३॥

     

    धर्म करें से धर्मी जग से तिर जाया करते।

    पाप करणिये भव सागर में, बह ज्याया करते ।।

    कच्ची नींव लगाने से घर, ढह ज्याया करते।

    भले बुरे दो नाम जगत में, रह ज्याया करते ॥

    हरिनारायण हरि गुण गावो, सारा जन्म सुधर ज्यासी ॥४॥

     

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