सुनता मेरी कौन है, किसे सुनाऊँ मैं – भक्ति भजन लिरिक्स & अर्थ
चेतावनी भजन
🙏 सुनता मेरी कौन है, किसे सुनाऊँ मैं – भजन लिरिक्स 🙏
🎶 भजन लिरिक्स:
सुनता मेरी कौन है, किसे सुनाऊँ मैं
तेरे दर को छोड़कर, किस दर जाऊँ मैं।
सुनता मेरी कौन है, किसे सुनाऊँ मैं।।
जब से याद भुलाई तेरी, लाखों दुख उठाए हैं।
ना जानूँ इस जीवन अंदर, कितने पाप कमाए हैं।।
कितनी से छल किया कपट से, कितने स्वांग दिखाए हैं।
लाज न आई बात बनाते, सारे ऐब छिपाए हैं।।
शक्तिहीन हूँ आपसे, क्या बतलाऊँ मैं।।
जो कुछ किया अन्तरतम में, सारे दूषण रहते हैं।
मेरे पाप रहे ही मुझमें, मिलने तक नहीं देते हैं।।
हाय! न मिलता प्रेमी आपसे, रोक मुख्य कर देते हैं।
यम यातना का जो जीबी, नरक चलन की कहते हैं।।
छींटे दे दो ज्ञान का, होश में आऊँ मैं।।
जो बीत गई, सो बीत गई, आगे अपनी उमर सँवारूँ मैं।
प्रेम रंग में रँग जाऊँ, गीत गा गा के गाऊँ मैं।।
सबका कल्याण हो जीवन में, प्रभु से यह वर पाऊँ मैं।
दीप रूप भगवान जगे पर, हो जल जाऊँ मैं।।
जीवन प्यारा देश का, सफल बनाऊँ मैं।।
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🌿 इस भजन से हमें क्या सीख मिलती है?
✅ ईश्वर की भक्ति से आत्मशुद्धि संभव है।
✅ अतीत के पापों को छोड़कर भक्ति के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।
✅ सच्ची शांति और मुक्ति केवल प्रभु भक्ति में ही है।
🔹 भजन का सारांश
यह भजन एक भक्त की गुहार को दर्शाता है, जिसमें वह अपने जीवन की कठिनाइयों और अपने कर्मों का बोध कर परमात्मा की शरण में जाने की प्रार्थना करता है।
🔹 भजन के प्रमुख अंश और उनका अर्थ
📌 "तेरे दर को छोड़कर, किस दर जाऊँ मैं..."
➡️ भक्त कहता है कि भगवान के दर को छोड़कर उसके लिए कोई और ठिकाना नहीं है। संसार में अनेक विकल्प हो सकते हैं, लेकिन असली शरण केवल ईश्वर का ही द्वार है।
📌 "जब से याद भुलाई तेरी, लाखों दुख उठाए हैं..."
➡️ जब से भक्त ने ईश्वर को भुलाया है, उसने जीवन में अनगिनत दुखों का सामना किया है। यह संसार में मोह-माया, छल-कपट और स्वार्थ से भरा जीवन जीने की व्यथा को दर्शाता है।
📌 "जो कुछ किया अन्तरतम में, सारे दूषण रहते हैं..."
➡️ भक्त अपने पापों की स्वीकारोक्ति करता है और मानता है कि उसके भीतर अभी भी दोष और विकार भरे हुए हैं। उसे भय है कि ये दोष उसे भगवान से दूर कर सकते हैं।
📌 "जो बीत गई, सो बीत गई, आगे अपनी उमर सँवारूँ मैं..."
➡️ यह पंक्ति जीवन में सुधार और आत्मचिंतन का संदेश देती है। भक्त यह संकल्प लेता है कि अब से वह सत्कर्म करेगा और अपने जीवन को प्रभु भक्ति में लगाएगा।
🔹 भजन से हमें क्या सीख मिलती है?
✅ ईश्वर की भक्ति ही सच्चा सहारा है।
✅ जीवन में पाप और पुण्य का ज्ञान आवश्यक है।
✅ प्रत्येक व्यक्ति को आत्ममंथन करना चाहिए और जीवन सुधारने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
✅ मोह-माया छोड़कर भक्ति का मार्ग अपनाने से ही सच्ची शांति मिलती है।
🔹 निष्कर्ष
"सुनता मेरी कौन है, किसे सुनाऊँ मैं" भजन एक भक्त के हृदय की गहराइयों से निकली पुकार है। यह हमें अपने कर्मों का हिसाब रखने, प्रभु की भक्ति में लीन रहने और सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। जो भी इस भजन को भावनापूर्वक गाता या सुनता है, वह आध्यात्मिक शांति और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
💠 "हे प्रभु! हमें सन्मार्ग दिखाओ और अपने चरणों की भक्ति में लीन करो।" 💠
