Content removal requests: If you own rights to any content and would like us to remove it OR give credit, please contact us bhaktibhajandiary@gmail.com
    काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स

    काया का पिंजरा डोले रे सांस का पंछी बोले भजन लिरिक्स

    काया का पिंजरा डोले रे सांस का पंछी बोले भजन लिरिक्स
    WhatsApp Group Join Now

    ।। दोहा ।।
    कबीर कुआ एक है, पनिहारी अनेक।
    बर्तन सब के न्यारे न्यारे, पानी सब में एक।

    ~ काया का पिंजरा डोले रे ~

    काया का पिंजरा डोले रे,
    सांस का पंछी बोले रे।
    पिंजरा डोले रे ,
    काया का पिंजरा डोले रे।

    तन नगरी मन मंदिर है ,
    परमांत्मा इसके अंदर है।
    दो नैन असंख्य समुन्द्र है ,
    पापी पाप को धोले रे।
    काया का पिंजरा डोले रे,
    सांस का पंछी बोले रे। टेर।

    ले के साक्षी जाना है ,
    और जाने से क्या घबराना है।
    ये दुनिया मुसाफिर खाना है,
    तूँ जाग जगत ये सोले रे।
    काया का पिंजरा डोले रे,
    सांस का पंछी बोले रे। टेर।

    कर्म अनुसारी फल ले रे,
    और मनमानी अपनी करले रे।
    तेरा घमंड सारा झडले रे,
    अभिमानी मान क्यूँ डोले रे।
    काया का पिंजरा डोले रे,
    सांस का पंछी बोले रे। टेर।

    मातपिता भाईबहन पतिपत्नी,
    कोई नहीं तूँ किसी का रे।
    कह कबीर झगड़ा जीते जी का,
    अब मन ही मन क्यूँ डोले रे।
    काया का पिंजरा डोले रे,
    सांस का पंछी बोले रे। टेर।

    Telegram Group Join Now

    Leave Message

    Popular Bhajans list

    Stay Connected With Us

    DMCA.com Protection Status

    Post Your Comment