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    काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स

    जोड़ जोड़ भर लिए खजाने , फिर भी तृष्णा अड़ी रही भजन हिंदी लिरिक्स

    जोड़ जोड़ भर लिए खजाने , फिर भी तृष्णा अड़ी रही भजन हिंदी लिरिक्स
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    जोड़ जोड़ भर लिए खजाने

    जोड़ जोड़ भर लिए खजाने ,
    फिर भी तृष्णा अड़ी रही।
    रहे गये तेरे महल दू मेहले ,
    कंचन काया पड़ी रही।

    एक ब्राह्मण की सुनो कहानी ,
    पूजा करने जमाया था।
    नहाय धोय कर नदी किनारे ,
    आसान सुब जमाया था।

    आ गया यम का परवाना ,
    हाथ में माला पड़ी रही।
    रहे गये तेरे महल दू मेहले ,
    कंचन काया पड़ी रही।
    जोड़ जोड़ ….

    पहन पोशाक बांधकर पगड़ी ,
    हट्टी पर एक सेठ गया।
    जाते ही एक चक्कर आया ,
    पाँव फैलाकर लेट गया।

    कूच कर गया लिखने वाला ,
    कलम कान में खड़ी रही।
    रहे गये तेरे महल दू मेहले ,
    कंचन काया पड़ी रही।
    जोड़ जोड़ ….

    एक स्त्री कोठे पर चढ़ गई ,
    सब श्रृंगार सजाने को।
    भरी सलाई सुर में बाली ,
    सुरमा आँख लगाने को।

    काल बलि का लगा तमाचा ,
    सुरमेदानी पड़ी रही।
    रहे गये तेरे महल दू मेहले ,
    कंचन काया पड़ी रही।
    जोड़ जोड़ ….

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    सेर करण को एक बाबूजी ,
    गाड़ी पर असवार हुए।
    गाड़ी अभी न चलने पाई ,
    बाबूजी दंड सार हुए।

    लगा तमाचा एक अंचल का ,
    सड़क पे टम टम खड़ी रही।
    रहे गये तेरे महल दू मेहले ,
    कंचन काया पड़ी रही।
    जोड़ जोड़ ….

    गोरी शंकर चेतो प्राणी ,
    झगड़े और फिसाद तजो।
    छोड़ो भी सारी बातो को ,
    अब तुम सीता राम भजो।

    लिख लिख मर गये लिखने वाले ,
    सदा जली फूलजड़ी यही।
    रहे गये तेरे महल दू मेहले ,
    कंचन काया पड़ी रही।
    जोड़ जोड़ ….

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