Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
प्रकाशित: 15 May, 2025
जगत में कोई ना परमानेंट
जाणा है यहां रहणा नाही बात बड़ी पेटेंट
जगत में कोई ना परमानेंट -2
ये संसार सराय है जेसे रेस्टोरेन्ट
सच्चे तो यहाँ दस रहते है झूठे नब्बे परसेंट
नर का चोला रतन अमोला जीवन है वीकेंड
नेम धर्म सत कर्म छुट ज्या बण बैठे पेसेन्ट
जम का दूत पकड़ ले ज्यावे बण के सुपरिडेंट
एक पलक की देर करेना ले ज्यावे अर्जेन्ट
सतगुरुवा से कार्ड लेले कर अप्लाईमेन्ट
राम भजन म ध्यान लगाले बण उसका सर्वेन्ट
ताराचंद बोले से बाणी जेसे खुश्बू सेंट
रतीराम सतगुरु चरणा में सदा रहो परजेन्ट
प्रकाशित: 15 May, 2025
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