Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
प्रकाशित: 15 May, 2025
हरी न रूणीचो बसायो प्रभु न रुणीचो बसायो
द्वारिका से आय
पगा उभाणा गया तिरथां अन्न रति नहीं खायो
जाय द्वारका म डेरा कीन्हा
प्रभु जी के आगे बे तो रुदन मचायो रे
हाथ जोड़ अजमलजी बोल्या के म पाप कमायो
एक पुत्र जलम नहीं मेर
बैठ चरणा माहि बाँके नीर बहायो रे
इतनी कह बड्या समदर म सिंघासन थाररायो
जद मालिक न दया उपजी
भाग्यो ही दोड्यो सांवरो पलका म आयो रे
रतनागर म नीर घणों है ठाकुर जी समझावे
माथे ऊपर जल फिरज्यागो
हटज्या भगत रामा हटजा हटायो रे
अजमल जी केणो नहीं माने आगो आगो ध्यायो
जद मालिक न दया उपजी
चतुर्भुज रूप साँवरो पल म दिखायो रे
भगत जाण के कारज सारया वचना को बंध्यो आयो
अजमल जी का जनम सुधारया
इसरदास अरठ रामा भजन बनायो रे
बोल रामसा पीर की जय
बोल नाथ जी महाराज की जय
प्रकाशित: 15 May, 2025
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