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    काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स

    हंसा निकल गया रे काया से भजन लिरिक्स भजन हिंदी लिरिक्स

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    ।। दोहा ।।
    ये तन विष की बेल है , सतगुरु अमृत खान।
    शीश दिया सतगुर मिले ,तो भी सस्ता जान।

    ~ हंसा निकल गया रे काया से ~

    हंसा निकल गया रे काया से,
    खाली पड़ी रेवे तस्वीर -
    पड़ी रेवे तस्वीर ,
    खाली पड़ी रेवे तस्वीर |
    हंसा


    कोई मनाया देवी देवता ,
    कोई पूज्या पीर -
    आया पर्वा ना उसी घर का ,
    अब जाना पड़ा आखिर ।।
    हंसा


    कोई रोवे कोई मल मल धोवे ,
    कोई ओढावे चिर -
    चार जाना मिल मुर्दो उठायो ,
    ले गया जमाना तीर ।।
    हंसा


    यम का दूत लवण ने आवे ,
    मनड़ो करे नहीं धीर -
    मार -मार के प्राण नीकालिया ,
    जद नैना में छलके नीर ।।
    हंसा


    माल मूलक की कोड चलाई ,
    संग नहीं जावे शरीर -
    जाय जंगल में जीता चुनाई ,
    कह गया दास कबीर ।।
    हंसा


    हंसा निकल गया रे काया से,
    खाली पड़ी रेवे तस्वीर -
    पड़ी रेवे तस्वीर ,
    खाली पड़ी रेवे तस्वीर |
    हंसा

     

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