काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स
हंसा निकल गया रे काया से भजन लिरिक्स भजन हिंदी लिरिक्स
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।। दोहा ।।
ये तन विष की बेल है , सतगुरु अमृत खान।
शीश दिया सतगुर मिले ,तो भी सस्ता जान।
~ हंसा निकल गया रे काया से ~
औ हंसा निकल गया रे काया से,
खाली पड़ी रेवे तस्वीर -२
पड़ी रेवे तस्वीर ,
खाली पड़ी रेवे तस्वीर |
औ हंसा…
कोई मनाया देवी देवता ,
कोई पूज्या पीर -२
आया पर्वा ना उसी घर का ,
अब जाना पड़ा आखिर ।।
हंसा…
कोई रोवे कोई मल मल धोवे ,
कोई ओढावे चिर -२
चार जाना मिल मुर्दो उठायो ,
ले गया जमाना तीर ।।
हंसा…
यम का दूत लवण ने आवे ,
मनड़ो करे नहीं धीर -२
मार -मार के प्राण नीकालिया ,
जद नैना में छलके नीर ।।
हंसा…
माल मूलक की कोड चलाई ,
संग नहीं जावे शरीर -२
जाय जंगल में जीता चुनाई ,
कह गया दास कबीर ।।
हंसा…
औ हंसा निकल गया रे काया से,
खाली पड़ी रेवे तस्वीर -२
पड़ी रेवे तस्वीर ,
खाली पड़ी रेवे तस्वीर |
औ हंसा…
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