जाहरवीर गोगाजी चालीसा – इतिहास, भक्ति और संपूर्ण चालीसा लिरिक्स
प्रकाशित: 21 Jun, 2025
श्री जाहरवीर गोगाजी, जिन्हें गोगा जी, गोगा वीर या गोगा देव के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख लोकदेवताओं में से एक हैं। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के करोड़ों श्रद्धालु इनकी भक्ति करते हैं। गोगाजी को नागों के देवता, सत्य के रक्षक और पीड़ाओं का नाश करने वाले वीर माना जाता है।
जय -जय जाहरवीर हरे, जय -जय गोगावीर हरे
धरती पर आकर के भक्तों के कष्ट हरे जय जय ----
जो कोई भक्ति करे प्रेम से, निसादिन करे प्रेम से, भागे दुःख परे,
विघ्न हरन मंगल के दाता, जन-जन का कष्ट हरे।
जेवर राव के पुत्र कहाए, रानी बाछल माता,
बागड़ में जन्म लिया गुगा ने, सब जय-जयकार करे, जय जय ....
धर्म की बेल बढ़ाई निशदिन, तपस्या रोज करे
दुष्ट जनों को दण्ड दिया, जग में रहे आप खरे, जय जय ....
सत्य अहिंसा का व्रत धारा, झूठ से सदा डरे
वचन भंग को बुरा समझ कर, घर से आप निकले, जय जय ....
माड़ी में करी तपस्या, अचरज सभी करे
चारों दिशाओं से भगत आ रहे, जोड़े हाथ खड़े, जय जय ....
अजर अमर है नाम तुम्हारा, हे प्रसिद्ध जगत उजियारा
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, जो कोई जाहर नाम गावे, जय जय ....
सच्चे मन से जो ध्यान लगावे, सुख संपत्ति घर आवे,
नाम तुम्हारा जो कोई गावे, जन्म-जन्म के दुःख बिसरावे, जय जय ....
भादो कृष्ण नवमी के दिन जो पुजे, वह विघ्नों से नहीं डरे,
जय-जय जाहर वीर हरे, जय श्री गोगा वीर हरे .....!
जन्मस्थान: बागड़ क्षेत्र (राजस्थान)
माता-पिता: रानी बाछल माता और जेवर राव
जातीय पहचान: चौहान वंश
विशेष पहचान: नाग देवता, वीर योद्धा, लोकदेवता
पूजा का पर्व: भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी (गोगा नवमी)
गोगाजी को "नागों के देवता" माना जाता है।
इनकी भक्ति से सांप, भूत-प्रेत, और बुरी शक्तियों का डर समाप्त होता है।
गोगाजी की आरती और पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
ये सत्य, अहिंसा और वचन पालन के प्रतीक माने जाते हैं।
गोगा जी की आरती सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि एक जीवन मार्गदर्शक है जिसमें धर्म, सत्य, अहिंसा, भक्ति और तपस्या की महिमा को दर्शाया गया है। यह आरती दर्शाती है कि सच्चे मन से की गई भक्ति से हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
भाद्रपद कृष्ण नवमी को गोगा नवमी कहा जाता है।
इस दिन विशेष रूप से गोगाजी की पूजा और आरती की जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गोगा चौक, गोगा मंदिर, और गोगा रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।
गोगा नवमी पर नीले झंडे (गोगाजी के प्रतीक) घरों और मंदिरों पर लगाए जाते हैं।
Q1. गोगाजी की आरती किस दिन करनी चाहिए?
उत्तर: प्रतिदिन सच्चे मन से आरती की जा सकती है, लेकिन गोगा नवमी के दिन विशेष रूप से की जाती है।
Q2. गोगा जी को क्या भोग लगाया जाता है?
उत्तर: चूरमा, गुड़, दूध और कच्चा दूध-हल्दी चढ़ाया जाता है।
Q3. क्या गोगा जी की पूजा से सांप का भय दूर होता है?
उत्तर: हां, उन्हें नागों के देवता माना जाता है, उनकी पूजा से सर्प भय समाप्त होता है।
Q4. गोगा नवमी कब मनाई जाती है?
उत्तर: भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को।
Q5. गोगा जी की प्रसिद्ध कहावत क्या है?
उत्तर: “गोगा जी का नाम जो लेवे, वह भूत-पिशाच से डरे ना।”
श्री जाहरवीर गोगाजी का जीवन और उनकी आरती आज भी भक्तों के दिलों में आस्था का दीप प्रज्वलित करती है। उनका नाम लेने मात्र से ही भक्तों के संकट दूर हो जाते हैं। सच्ची श्रद्धा और प्रेम से की गई पूजा से जीवन में सकारात्मकता और सुरक्षा आती है।
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प्रकाशित: 21 Jun, 2025
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