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    काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स

    एकला मत छोड़ जो बंजारा रे भजन लिरिक्स

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    ~ एकला मत छोड़ जे बंजारा ~

    एकला मत छोड़ जे बंजारा रे।
    परदेशी का है मामला,
    खोटा हो जाना रे।
    दूर देश का है मामला ,
    खोटा हो जाना रे।

    अपना सायब जी ने,
    बंगला बनाया रे।
    बंगला बनाया बंजारा ।
    ऊपर रखियो झरोखा,
    जामे झांक्या करो प्यारा रे।
    एकला मत छोड़ जे बंजारा रे।
    परदेशी का है मामला,
    खोटा हो जाना रे। टेर। ..

    अपना सायब जी ने,
    बाग लगाया।
    बाग लगाया बंजारा रे।
    फूला भरी है छाबड़ी,
    पाया करो प्यारा रे।
    एकला मत छोड़ जे बंजारा रे।
    परदेशी का है मामला,
    खोटा हो जाना रे। टेर। ..

    अपना सायब जी ने,
    कुआँ खुदाया।
    कुआँ खुदाया बंजारा रे।
    गहरा भरया नीर वा,
    नहाया करो प्यारा रे।
    एकला मत छोड़ जे बंजारा रे।
    परदेशी का है मामला,
    खोटा हो जाना रे। टेर। ..

    कहे कबीर धर्मदास से,
    बंजारा रे बंजारा।
    सत अमरापुर पावीया,
    सौदा करो प्यारा रे।
    एकला मत छोड़ जे बंजारा रे।
    परदेशी का है मामला,
    खोटा हो जाना रे। टेर। ..

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