Rati Nath Ji Bhajan Lyrics
धन अजमल जी थारी भक्त्ति काम करया सब अच्छा है हिंदी भजन लिरिक्स
WhatsApp Group
Join Now
धन अजमल जी थारी भक्त्ति काम करया सब अच्छा है।
राम सरिसा पुत्र तुम्हारे, घर आया रमणताईं ।।
बारह बरस भज्यो मालिक न, तन मन से भगति पाई,
तेरह बरस म दर्शन दियो, गयो द्वारका निरणायी।।
अजमलजी न दर्शन दीन्हा, कृष्ण मिल्या समदर माही।
मांग मांग रे भगत हमारा, अब कर दयूं तेरी मन चाही।।
धन दौलत चाहे राज मांगले, हाजर है भगतां तांई।
आज अलख की मुक्त्ति खुल गयी, लेसी सो देस्यां भाई।।
हाथ जोड़ अजमलजी बोल्या, अरज सुणो यदुराई।
वचन देवो पृथ्वी का मालिक, बिना वचन मांगू नाहीं।।
ब्रह्मा वाचा शंकर वाचा, चांद सूरज गंगा माई।
जे तेरा कारज ना सारा तो, देव मान ल्यो झूठा ही।।
हाथ जोड़ अजमलजी बोल्या, सुण ठाकुर मेरा साईं।
आप सरिसा पुत्र हमारे, घर आओ रमणा तांई।।
मेरे जैसा पुत्र बावळा दुनियां म जलमे नाहीं।
तीन लोक का नाथ कहिजूं,आ के बात कही भाई।।
के तो तेरा वचन हार ज्या, नही प्राण तजूं समदर मांही।
के भगतां के घरां पधारो, अजमलजी आ फ़रमाई।।
करया वचन म्हे कदे न हारा, भगवत घर रीति या ही।
दसवें महीने तवरयां म आवां, इसमें फर्क रत्ति नाहीं।।
बालक होय आया पालणे,पूरा वचन करणा तांई।
धरती अम्बर रहसी तजरत , बाजाला अजमल का ही।।
आप निरंजन तपे रुणिचे, परचा दे कलयुग माही।
"चन्द्रो बारठ" बिड़द बखाने, लालदास गुरु दरसाई।।
।। बोल अजमल घर अवतार की जय ।।
Telegram Group
Join Now
Leave Message