भोली साधुड़ाँ से किसोड़ी भिराँत भजन लिरिक्स | Bhajan Diary Lyrics in Hindi
रति नाथ भजन
भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत म्हार बीरा रै
साध रै पियालो रल भेला पीवजी ॥टेर॥
सतगुरु साहिब बंदा एक है जी
धोबीड़ा सा धोवै गुरु का कपड़ा रै,
कोई तन मन साबुन ल्याय।
तन रै सिला मन साबणा रै,
कोई मैला मैला धुप धुप ज्याय॥1॥
काया रे नगरियै में आमली रै,
जाँ पर कोयलड़ी तो करै रे किलोल।
कोयलड्याँ रा शबद सुहावना रै,
बै तो उड़ उड़ लागै गुराँ के पांव॥2॥
काया रे नगरिये में हाटड़ी रै,
जाँ पर विणज करै है साहुकार।
कई रे करोड़ी धज हो चल्या रै,
कई गय है जमारो हार॥3॥
सीप रे समन्दरिये मे निपजै रै,
कोई मोतीड़ा तो निपजै सीपां माँय।
बून्द रे पड़ै रे हर के नाम की रै,
कोई लखिया बिरला सा साध॥4॥
सतगुरु शबद उच्चारिया रै,
कोई रटिया सांस म सांस।
देव रे डूंगरपुरी बोलिया रै,
ज्यारो सत अमरापुर बास॥5॥
भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत म्हार बीरा रै
साध रै पियालो रल भेला पीवजी ॥टेर॥
✅ FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1: "भोली साधुड़ाँ से किसोड़ी भिराँत" भजन का क्या अर्थ है?
A: यह भजन एक भोली किसोड़ी (कन्या) और साधुओं के बीच हुए संवाद को दर्शाता है, जहाँ वह जीवन और भक्ति का ज्ञान प्राप्त करती है।
Q2: इस भजन की भाषा कौनसी है?
A: यह भजन शुद्ध राजस्थानी लोक भाषा में है।
Q3: यह भजन किन विषयों पर आधारित है?
A: यह भजन साधु-संगति, आध्यात्मिक जिज्ञासा, भक्ति और वैराग्य जैसे विषयों पर आधारित है।
Q4: यह भजन कहां गाया जाता है?
A: यह भजन अक्सर भजन संध्याओं, लोक-संगीत कार्यक्रमों और संत समागम में गाया जाता है।
Q5: क्या इस भजन का ऑडियो या वीडियो उपलब्ध है?
A: हाँ, YouTube और Spotify जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर इसके कई लोकप्रिय संस्करण उपलब्ध हैं।
