रखना सुहागन बाके बिहारी Lyrics - Popular Bhakti Song 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
बलिहारी बलिहारी, म्हारा सतगुरुवा ने बलिहारी |
बंधन काट किया जीव मुक्ता, और सब विपति विडारी |
|वाणी सुणत परम सुख उपज्या, दुर्मति गई हमारी |
करम भरम का शंसय मेट्या, दिया कपाट उघारी || १ ||
माया ब्रह्म भेद समझाया, सोहम लिया विचारी |
पूरण ब्रह्म रहे उर अन्दर, काहे से देत विडारी || २ ||
मौ पे दया करी मेरा सतगुरु, अबके लिया उबारी |
भव सागर से डूबत तारया, ऐसा पर उपकारी || ३ ||
गुरु दादू के चरण कमल पर, रखू शीश उतारी |
और क्या ले आगे रखू, सादर भेंट तिहारी || ४ ||
Q1: "बलिहारी बलिहारी, म्हारा सतगुरुवा ने बलिहारी" भजन का क्या अर्थ है?
A: इसका अर्थ है – मैं अपने सतगुरु पर बलिहार (अर्पित) हूँ, जिन्होंने मुझे अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाया। यह गुरु के प्रति आभार और समर्पण का भाव है।
Q2: इस भजन में 'बलिहारी' शब्द का क्या भाव है?
A: 'बलिहारी' का अर्थ है पूरी तरह समर्पण करना, स्वयं को गुरु के चरणों में अर्पित कर देना — तन, मन और आत्मा सहित।
Q3: यह भजन किस परंपरा से जुड़ा हुआ है?
A: यह भजन संतमत, कबीरपंथ, या राजस्थानी लोक संत परंपरा से जुड़ा हुआ हो सकता है, जो गुरु महिमा को सर्वोपरि मानते हैं।
Q4: 'सतगुरु' का क्या महत्व बताया गया है इस भजन में?
A: सतगुरु को मोक्षदाता, ज्ञानदाता और अंतर-जागरण करने वाला बताया गया है। उनके बिना आत्मा भटकती रहती है।
Q5: यह भजन किस प्रकार के आयोजनों में गाया जाता है?
A: यह भजन गुरु पूजन, सत्संग, ध्यान शिविर, और भक्ति संध्या में अक्सर गाया जाता है।
Q6: क्या यह भजन ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त है?
A: हाँ, यह भजन समर्पण और भावपूर्ण भक्ति को गहराई से जगाता है, जो ध्यान और साधना के लिए बहुत प्रभावशाली होता है।
Q7: क्या इस भजन का कोई प्रसिद्ध गायक या मंचन है?
A: इसे कई लोक भजन गायकों और संतवाणी गायक मंडलियों द्वारा गाया गया है। यूट्यूब, Spotify और लोकगीत मंचों पर इसके कई संस्करण उपलब्ध हैं।
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
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