रामचरितमानस के 25 प्रेरणादायक दोहे: तुलसीदास के अमूल्य विचार

    Bhakti Bhajan Diary In Hinid Lyrics

    • 24 Aug 2025
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    रामचरितमानस के 25 प्रेरणादायक दोहे: तुलसीदास के अमूल्य विचार

    तुलसीदास जी के रामचरितमानस के 25 प्रमुख दोहे: भक्ति और शांति की ओर एक सफर

    तुलसीदास जी की रामचरितमानस न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने का तरीका, भक्ति का मार्ग, और आत्मा की शांति प्राप्त करने का एक गहरा माध्यम है। उनके दोहे न केवल भगवान राम की महिमा का बखान करते हैं, बल्कि वे मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करते हैं। इस ब्लॉग में हम तुलसीदास जी के 25 प्रमुख दोहों का अर्थ जानेंगे, जो आपके जीवन को और अधिक सुखी और शांत बना सकते हैं।


    1. **राम लखन सीता सहित, हृदय बसहिं बिराज।

    तिन्ह के दर्शन मात्रे, मिलै सुख नित साज।।**

    अर्थ:
    यह दोहा बताता है कि जो व्यक्ति राम, लक्ष्मण और सीता का ध्यान अपने हृदय में करता है, उसका मन हमेशा सुखी और शांति से भरा रहता है। उनका दर्शन मात्र ही व्यक्ति को आनंद और सुख प्रदान करता है।


    2. **सियाराम मय सब जग जानी।

    करहुं प्रणाम जोरि जानी।।**

    अर्थ:
    तुलसीदास जी कहते हैं कि इस पूरे ब्रह्मांड में राम और सीता के रूप में ही सब जगह भगवान का वास है। इस रूप में, हम सभी को भगवान राम का सम्मान और प्रणाम करना चाहिए।


    3. **जो हरि के भजन में रमता, सो सुखी सदा रहे।

    दुनिया के दुखों से मुक्त, उसका जीवन हर्षित रहे।।**

    अर्थ:
    जो व्यक्ति भगवान के भजन और भक्ति में समर्पित रहता है, उसे जीवन भर सुख मिलता है और वह दुनिया के सारे दुखों से मुक्त हो जाता है। उसका जीवन हमेशा हर्षित और संतुष्ट रहता है।


    4. **राम के चरणों में सुख है, हर विकार का नाश।

    उनका ध्यान करने से, सब हो जाता है पास।।**

    अर्थ:
    राम के चरणों में सभी प्रकार के सुखों का वास है। जो व्यक्ति राम का ध्यान करता है, वह अपने सभी विकारों और परेशानियों से मुक्त हो जाता है, और उसका जीवन सरल और सुखमय हो जाता है।


    5. **धन्य है वह जिनकी सेवा, राम के दरस में बसी।

    नित जीवन सफल होता, वह जिनका राम रूपी सुख है।।**

    अर्थ:
    जो लोग भगवान राम की सेवा में समर्पित होते हैं, उनका जीवन धन्य होता है। राम का रूप और उनकी भक्ति उनके जीवन को हर दिन सफल और संतुष्ट बनाती है।


    6. **कृष्ण के गीतों में शक्ति है, राम के भजनों में दिव्यता।

    जो गाता है, वह शुद्ध होता, उसका जीवन पूर्ण होता।।**

    अर्थ:
    कृष्ण के गीतों में शक्ति और राम के भजनों में दिव्यता होती है। जो व्यक्ति इन भजनों का गायन करता है, वह आत्मिक रूप से शुद्ध होता है और उसका जीवन पूर्ण रूप से सफल हो जाता है।


    7. **जो राम का नाम लावे, वही नर नारायण होवे।

    तिससे बढ़कर कोई नहीं, जो राम के रूप को जानवे।।**

    अर्थ:
    जो व्यक्ति राम का नाम सच्चे मन से जपता है, वही नारायण (भगवान) बनता है। भगवान राम के रूप और उनके नाम की महिमा से बढ़कर कुछ नहीं है।


    8. **साधु संगति से मिलता सुख, राम भक्ति से मिलता मोक्ष।

    जिसने राम नाम को जाना, वही पाता है सच्ची जोश।।**

    अर्थ:
    साधु संगति और राम भक्ति से सुख की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति राम के नाम का जप करता है और उनकी भक्ति में लीन रहता है, वही मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।


    9. **जय श्री राम का गान करो, हर मनोहर से प्यारा।

    इस भजन को गाओ तुम, दिल से करो सच्चा किनारा।।**

    अर्थ:
    तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री राम का जयकारा सबसे प्रिय और मधुर है। इस भजन को गाते हुए, सच्चे मन से भगवान से जुड़ना चाहिए, ताकि जीवन में सुख और शांति आए।


    10. **राम का नाम लेने से बड़ा कुछ नहीं, यही जीवन का सार है। 

     

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