Man Ki Tarng Maar Bhajan Lyrics - मन की तरंग मार लो, बस हो गया लिरिक्स
प्रकाशित: 15 May, 2025
टेक:
निर्धन रो धणी सांचों सांवरों
निर्धन रो धणी गिरधारी ॥
दुर्बल जात सुदामा कहिए,
पुछत है उनकी नारी।
हरि सरीका मींत तुम्हारा,
तोई नहीं गई दुबदा थारी॥
तिरिया जात अक्ल री ओछी,
क्या कुमति हुई मति थारी।
कर्मो में दालिदर लिखियो,
क्या करे मारो बनवारी॥
दो दो पेड़ कदम के तारे,
तार दीवी गौतम नारी।
विश्वामित्र रा यज्ञ सफल कर,
आप वणिया वटे अधिकारी॥
धर विश्वास, राख्यो भरोसो,
सबको पूरे गिरधारी।
दास सुदामा राख्यो भरोसो,
कंचन महल होवे तैयारी॥
श्रीकृष्ण ही सच्चे मालिक हैं निर्धनों के, वही सच्चा सहारा हैं सभी गरीब, असहाय और भक्तों का।
सुदामा एक निर्धन ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी पूछती है – "तुम्हारा ऐसा मित्र श्रीकृष्ण है, फिर भी तुम्हारी दुर्दशा क्यों नहीं बदली?" यह पंक्तियाँ उस विश्वास और भरोसे को दर्शाती हैं, जो हरि के भक्त रखते हैं, भले ही हालात कठिन हों।
स्त्रियों की बुद्धि को अक्सर भोली कहा गया है। यहाँ पत्नी की व्याकुलता दिखती है – वह पूछती है कि अगर भाग्य में दरिद्रता लिखी है, तो फिर भगवान भी क्या कर सकते हैं? लेकिन इसमें सच्चे प्रेम और समर्पण की झलक भी है।
श्रीराम ने अहल्या का उद्धार किया (दो कदम के पेड़ तले) और विश्वामित्र का यज्ञ राक्षसों से बचाया। इन उदाहरणों से यह बताया गया है कि भगवान हर स्थान और परिस्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
जो भी श्रीकृष्ण पर विश्वास रखता है, उसका कल्याण निश्चित है। सुदामा ने केवल श्रद्धा रखी, बदले में उसे प्रभु ने महल का वैभव दिया। यह भगवान की कृपा का जीवंत उदाहरण है।
🔗 Related Posts You May Like:
👉 🌟 Best Fitness Wearables of 2025: Top Smartwatches & Trackers Compared
👉 🌸 How to Create Ghibli-Style Images Using ChatGPT: A Step-by-Step Guide
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
प्रकाशित: 15 May, 2025
Leave Message