निर्धन रो धणी सांचों सांवरों भजन लिरिक्स

    प्रभाती भजन

    • 24 Aug 2025
    • Admin
    • 752 Views
    निर्धन रो धणी सांचों सांवरों भजन लिरिक्स

    🎵 भजन: "निर्धन रो धणी सांचों सांवरों भजन लिरिक्स"

    टेक:
    निर्धन रो धणी सांचों सांवरों
    निर्धन रो धणी गिरधारी ॥


    अंतरा 1

    दुर्बल जात सुदामा कहिए,
    पुछत है उनकी नारी।
    हरि सरीका मींत तुम्हारा,
    तोई नहीं गई दुबदा थारी॥


    अंतरा 2

    तिरिया जात अक्ल री ओछी,
    क्या कुमति हुई मति थारी।
    कर्मो में दालिदर लिखियो,
    क्या करे मारो बनवारी॥


    अंतरा 3

    दो दो पेड़ कदम के तारे,
    तार दीवी गौतम नारी।
    विश्वामित्र रा यज्ञ सफल कर,
    आप वणिया वटे अधिकारी॥


    अंतरा 4

    धर विश्वास, राख्यो भरोसो,
    सबको पूरे गिरधारी।
    दास सुदामा राख्यो भरोसो,
    कंचन महल होवे तैयारी॥



    भावार्थ (अर्थ):

    टेक का भावार्थ:

    श्रीकृष्ण ही सच्चे मालिक हैं निर्धनों के, वही सच्चा सहारा हैं सभी गरीब, असहाय और भक्तों का।


    अंतरा 1:

    सुदामा एक निर्धन ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी पूछती है – "तुम्हारा ऐसा मित्र श्रीकृष्ण है, फिर भी तुम्हारी दुर्दशा क्यों नहीं बदली?" यह पंक्तियाँ उस विश्वास और भरोसे को दर्शाती हैं, जो हरि के भक्त रखते हैं, भले ही हालात कठिन हों।


    अंतरा 2:

    स्त्रियों की बुद्धि को अक्सर भोली कहा गया है। यहाँ पत्नी की व्याकुलता दिखती है – वह पूछती है कि अगर भाग्य में दरिद्रता लिखी है, तो फिर भगवान भी क्या कर सकते हैं? लेकिन इसमें सच्चे प्रेम और समर्पण की झलक भी है।


    अंतरा 3:

    श्रीराम ने अहल्या का उद्धार किया (दो कदम के पेड़ तले) और विश्वामित्र का यज्ञ राक्षसों से बचाया। इन उदाहरणों से यह बताया गया है कि भगवान हर स्थान और परिस्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।


    अंतरा 4:

    जो भी श्रीकृष्ण पर विश्वास रखता है, उसका कल्याण निश्चित है। सुदामा ने केवल श्रद्धा रखी, बदले में उसे प्रभु ने महल का वैभव दिया। यह भगवान की कृपा का जीवंत उदाहरण है।

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