आज का हिन्दू पंचांग (17 मई 2025) | भक्ति, भजन, व्रत पर्व, राशिफल, दोष निवारण और स्नान विधि
प्रकाशित: 17 May, 2025
मन की तरंग मार लो, बस हो गया भजन।
आदत बुरी संवार लो, बस हो गया भजन॥
आये हो तुम कहाँ से, जाओगे तुम कहाँ।
इतना ही विचार लो, बस हो गया भजन॥
कोई तुम्हे बुरा कहे, तुम सुन कर क्षमा करो।
वाणी का स्वर संभाल लो, बस हो गया भजन॥
नेकी सभी के साथ में बन जाए तो करो।
मत सर बंदी का हर लो, बस हो गया भजन॥
नजरो में तेरी दोष है, दुनिया निहारते।
समता का अंजन ढाल लो, बस हो गया भजन॥
यह महल माडिया ना तेरे साथ जायेगी।
सतगुरु की महिमा जान लो, बस हो गया भजन॥
अनमोल ब्रह्मानंद जो चाहिए सदा।
घट घट में राम निहार लो, बस हो गया भजन॥
यह भजन आत्मविकास और आंतरिक शांति की ओर प्रेरित करता है। इसमें बताया गया है कि भजन केवल वाणी से नहीं, बल्कि व्यवहार, क्षमा, नेकी और समभाव से भी किया जा सकता है। "बस हो गया भजन" एक संकेत है कि जब हम सत्य और सरलता के मार्ग पर चलते हैं, वही सच्चा भजन है।
उत्तर: इस भजन के लेखक अज्ञात हैं, लेकिन यह संतवाणी और आत्मिक चिंतन से प्रेरित एक पारंपरिक भजन है।
उत्तर: इसका अर्थ है कि जब इंसान अपने मन, वाणी, कर्म और दृष्टिकोण को सुधार लेता है, तो वही सबसे सच्चा भजन है। केवल गीत गाने से नहीं, बल्कि अच्छे कर्मों से भी भजन होता है।
उत्तर: यदि उपलब्ध है, तो आप हमारे यूट्यूब चैनल या भक्ति गीत प्लेटफॉर्म से सुन सकते हैं। (यहाँ लिंक जोड़ें)
उत्तर: हाँ, यह भजन सत्संग, ध्यान, भक्ति समारोह और कीर्तन के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
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प्रकाशित: 17 May, 2025
प्रकाशित: 17 May, 2025
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