रखना सुहागन बाके बिहारी Lyrics - Popular Bhakti Song 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
हे भगवान तेरी माया का, भेद समझ में आया नहीं।
अलख निरंजन घट घट वासी, अलख रुप दरशाया नहीं। टेर ॥
दातारों को दिई कंगाली, टोटा देख्या खाने में।
कंजूसों के कमी नहीं भर दीन्या माल खजाने में।।
बेद पढ़णिया फिर भटकता, देख्या इसी जमाने में।
ठग पाखण्डी मौज करे, नित झूठी बात बनाने में।।
पापी माणस मौज करें जो, कदै हरि गुण गाया नहीं।॥ १॥
वेश्यां ओढें शाल दुशाला, खोटे काम कमा कर के।
खाश रेशमी साड़ी बाँधे, तेल फुलेल रचा करके के।।
सत पर जो सतवन्ती नारी, अपना धर्म निभा कर के।
सो दिन रात मुसीबत भोगे, दिन काटे दुख पा कर के ॥
अजब गती भगवान आपकी, असली रूप बताया नहीं ।॥ २॥
ठग पाखण्डी चोर लुटेरे, नित उत्पात डिगाते क्यों ।
इनको आप सजा देते तो, अपनी नीत मचाते क्यों।
दानी ज्ञानी पर उपकारी, इनको आप सताते क्यों।
कपटी बेइमान उचंगे, जग में आदर पाते क्यों॥
सन्त महन्त अनन्त थके, पर पार किसी ने पाया नहीं ।॥ ३॥
पाप करणिया मोज करें नित, दिल में कुछ भी फिकर नहीं।
इस दुनियां में आदर पाते, आगे की कुछ खबर नहीं ।।
सच्चे माणस फिरे भटकते, इनकी देखी कदर नहीं।
हरनारायण देख जमाना, दिल में आवे सबर नहीं ।।
आगे क्या इन्साफ मिले, कोई वापिस आ बतलाया नहीं ॥४॥
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
प्रकाशित: 02 Jul, 2025
Leave Message