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    काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स

    ओढ़ चुनर में तो , गई रे सत्संग में भजन हिंदी लिरिक्स

    ओढ़ चुनर में तो , गई रे सत्संग में भजन हिंदी लिरिक्स

    ओढ़ चुनर गई सत्संग में

    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में।
    साँवरियो भिगोई म्हाने,
    गहरा गहरा रंग में।
    सोच रही मन में ,
    समझ रही दिल में।
    थारो मारो न्याय ,
    होवेला सत्संग में।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में।

    सत री संगत में ,
    गुरु जी विराजे।
    कर कर दर्शन ,
    होई रे मगन मैं।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में। टेर।

    सत री संगत में ,
    सहेलिया विराजे।
    गाई गाई हरी गुण ,
    होई रे मगन मैं।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में। टेर।

    सत री संगत में ,
    ज्योति जगत है।
    कर कर दर्शन ,
    होई रे मगन मैं।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में। टेर।

    सत री संगत में ,
    राम रस बरसे।
    पी पी राम रस ,
    होई रे मगन में।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में। टेर।

    सत री संगत में ,
    साज बजत है।
    गाई गाई हरी गुण ,
    होई रे मगन मैं।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में। टेर।

     

    बाई मीरा गावे ,
    प्रभु गिरधर नागर।
    भवजल पार करोनी ,
    पल छीन में।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में।

    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में।
    साँवरियो भिगोई म्हाने,
    गहरा गहरा रंग में।
    सोच रही मन में ,
    समझ रही दिल में।
    थारो मारो न्याय ,
    होवेला सत्संग में।
    ओढ़ चुनर में तो ,
    गई रे सत्संग में।

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