मन म्हारा उन मार्ग मत जाए - कुसंग को लाच्छण लागे रे लिरिक्स | Bhakti Bhajan Hindi Lyrics
राग-सोरठ आधी रात को गायी जाती है
आधी रात अंखड ह, सब दुनियां रही सोय ।
जो कोई जागे प्राणी, ज्याके प्रित राम से होय ।।
सौरठ का दोहा भला, कपड़ा भला सफेद ।
प्रदेशी मित्र भला, लिंख लिंख पत्तियाँ भेज ।।
सौरठ मीठी रागिनी, राग-सोरठ मीठी रागिनी ।।
आ सुनता ही चुब जाए साधु, चात्रक है सो उठ सुन
या मूरख सुन सो जाए
चल भंवरा उस ठोर को ,
तू कुची नजर को राख,
तने कमल दिखाव सू
तू मूल्ख मूल्ख रस चाख
हे मन म्हारा रे हे मनवा
हे मनवा रे
आडो टेडो मत चाल हे मनवा हे मनवा रे
कुसंग को लाच्छण लागे रे ।
मन म्हारा उन मार्ग मत जाए ।
कुसंग को लाच्छण लागे रे ।। टेर ।।
आप जाणी खांड कि रे।।
खेत पराया था
गले बदायो ढिगलो रे
आ घोड़ा फोड़ घर आए
कुसंग लाच्छण लागे रे।।
मन म्हारा उन मार्ग मत जाए
कुसंग को लाच्छण लागे रे ।। टेर ।।
गुड पे मांखी बैठगी रे
उड़ते ही मांखी बैठगी रे
बेटी बाप की लांड़ली
दौड पीहर जाए
पंख रहिया लिपटाए रे
उड ने का सां सां पड़िया रे।।
आ लालच बुरी बलाई।
लाच्छण लागे रे।।
मन म्हारा उन मार्ग मत जाए।
गुड पे उडते मांखी बेठगी रे
पंख रहित य लिपटाए रे
उड ने का सा सा पड़िया रे।।
लाछण लागे रे।।
कुसंग लाछण लागे रे मन म्हारा उन मांग मत जाए
समज म्हारा मायला रे
कुसंग लाच्छण लागे।
आ उजाड़ी खांड की
खेत पराया खाई
गले बढायो ढिढलो
घोड़ा फोड घर आए
गुड पर मांखी बेठगी
उड़ने का सां सां पड़िया रे
आ लालच बुरी बलाई
पंख रहिया लिपटाए
बेटी बाप कि लाड़ली
दौड पीहर जाए
बड बगला बिगाड
वानर से वनराय
घर का धणी को
कहयो नही माने
नाक कटाय घर आए
वंश सपूता उपजे
वंश कपूत जाए
कुसंग लाच्छण लागे रे।।
मन म्हारा उन मार्ग मत जाए। ।
कबीरा का घर जो बटे रे।।
गल कट यन के
करेगा सो भरेगा
कुसंग लाच्छण लागे रे मन म्हारा उन मार्ग मत जाए।।
✅ FAQs (Frequently Asked Questions):
❓ "मन म्हारा उन मार्ग मत जाए" भजन किसने लिखा है?
👉 यह एक पारंपरिक संत भजन है, जिसे कई संतों और भजन गायकों ने प्रस्तुत किया है।
❓ इस भजन का मुख्य संदेश क्या है?
👉 यह भजन हमें कुसंग (बुरे संगत) से दूर रहने और सच्चे मार्ग (सत्संग) की ओर चलने की प्रेरणा देता है।
❓ इस भजन के बोल कहाँ से मिल सकते हैं?
👉 आप इस वेबसाइट पर भजन के पूरे लिरिक्स हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं।
❓ कुसंग का क्या अर्थ है?
👉 कुसंग का मतलब है बुरी संगति या ऐसे लोग जो हमें अधर्म, मोह, लालच और पाप के मार्ग पर ले जाते हैं।
❓ क्या यह भजन ऑनलाइन सुन सकते हैं?
👉 हाँ, यह भजन यूट्यूब सहित कई भक्ति संगीत प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है।
❓ इस भजन को कौन-कौन से गायक गा चुके हैं?
👉 कई भजन गायकों जैसे प्रह्लाद सिंह टिपानिया, हंसराज रघुवंशी आदि ने इसे गाया है (संस्करण के अनुसार अलग-अलग हो सकता है)।
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