काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स
काया कैसे रोई तज दिना प्राण भजन लिरिक्स
~ काया कैसे रोई ~
तज दिना प्राण ,
काया कैसे रोई।
काया है निर्मोई ।।
मैं जाण्यो काया सगं चलेगी ,
इण तो काया ने मलमल धोई रे।
तज दिना प्राण ,
काया कैसे रोई। टेर। …
तज दिना मन्दिर महल मालिया ,
गाय भैंस घर घोङी रे।
घर कि नार बिलखती छोडी ,
छोड चल्या वे सारस कि जोड़ी रे।
तज दिना प्राण ,
काया कैसे रोई। टेर। …
चार जणा मिल गजी बणाई ,
चढ्या काठ की घोड़ी रे।
जाय जंगल में डेरा दिना ,
फूंक दिया ज्यों फागुन कि होली रे।
तज दिना प्राण ,
काया कैसे रोई। टेर। …
घर कि त्रीया यूँ उठ बोली ,
बिछड गई मारी जोड़ी रे।
भवानी नाथ बैरागी बोल्या ,
जिन जोड़ी दाता पल माही तोड़ी रे।
तज दिना प्राण ,
काया कैसे रोई। टेर। …
तज दिना प्राण ,
काया कैसे रोई।
काया है निर्मोई ।।
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