जय हो जय हो शंकरा भजन लिरिक्स

    Shiv Bhajan

    • 5 May 2025
    • Admin
    • 941 Views
    जय हो जय हो शंकरा भजन लिरिक्स

    जय हो शंकरा: एक आत्मिक यात्रा भोलेनाथ की भक्ति में

    "जय हो, जय हो शंकरा…"
    ये केवल शब्द नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है। जब हम भगवान शिव का जाप करते हैं, तो ऐसा लगता है मानो हर सांस में एक नई ऊर्जा, एक नई चेतना भर जाती है।

    जय हो जय हो शंकरा लिरिक्स

    जय हो, जय हो शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    आदिदेव, शंकरा
    हे शिवाय, शंकरा
    तेरे जाप के बिना
    भोलेनाथ, शंकरा
    चले ये साँस किस तरह
    हे शिवाय, शंकरा
    मेरा कर्म तू ही जाने
    क्या बुरा है, क्या भला
    तेरे रास्ते पे मैं तो
    आँख मूंद के चला
    तेरे नाम को जोत से
    सारा हर लिया तमस मेरा ।

    नमो-नमो जी शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    जय त्रिलोकनाथ, शंभू
    हे शिवाय, शंकरा
    नमो-नमो जी, शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    रुद्रदेव, हे महेश्वरा
    सृष्टी के जनम से भी
    पहले तेरा वास था
    ये जग रहे या ना रहे
    रहेगी तेरी आस्था
    क्या समय, क्या प्रलय
    दोनों में तेरी महानता
    महानता, महानता ।

    सीपियों की ओंट में
    भोलेनाथ, शंकरा
    मोतियाँ हो जिस तरह
    हे शिवाय, शंकरा
    मेरे मन में, शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    तू बसा है उस तरह
    हे शिवाय, शंकरा
    मुझे भरम था जो है मेरा
    था कभी नहीं मेरा
    अर्थ क्या, निरर्थ क्या
    जो भी है, सभी तेरा
    तेरे सामने है झुका
    मेरे सर पे हाथ रख तेरा ।

    नमो-नमो जी शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    जय त्रिलोकनाथ, शंभू
    हे शिवाय, शंकरा
    नमो-नमो जी, शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    रुद्रदेव, हे महेश्वरा
    चन्द्रमा ललाट पे
    भस्म है भुजाओं में
    वस्त्र बाघ-छल का
    है खड़ाऊं पांव में
    प्यास क्या हो तुझे
    गंगा है तेरी जटाओं में
    जटाओं में, जटाओं में ।

    दूसरों के वास्ते
    भोलेनाथ, शंकरा
    तू सदैव ही जिया
    हे शिवाय, शंकरा
    माँगा कुछ कभी नहीं
    भोलेनाथ, शंकरा
    तूने सिर्फ है दिया
    हे शिवाय, शंकरा
    समुद्र मंथन का था
    समय जो आ पड़ा
    द्वंद्व दोनों लोक में
    विषामृत पे था छिड़ा
    अमृत सभी में बाँट के
    प्याला विष का तूने खुद पिया ।

    नमो-नमो जी शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    जय त्रिलोकनाथ, शंभू
    हे शिवाय, शंकरा
    नमो-नमो जी, शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    रुद्रदेव, हे महेश्वरा
    नमो-नमो जी शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    जय त्रिलोकनाथ, शंभू
    हे शिवाय, शंकरा ।

    नमो-नमो जी, शंकरा
    भोलेनाथ, शंकरा
    रुद्रदेव, हे महेश्वरा
    रुद्रदेव, हे महेश्वरा
    रुद्रदेव, हे महेश्वरा ॥

    निष्कर्ष

    शिव भक्ति केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। यह एक जीवन शैली है, एक अनुभव है, आत्मा का वो कंपन है जो हमें स्वयं से जोड़ता है।
    जय हो शंकरा, यह पुकार तभी सार्थक होती है जब हृदय से उठे – प्रेम से, श्रद्धा से, और आत्मा से जुड़कर।

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