भजन की नहीं विचारी रे थारी म्हारी कर कर उमर खो दी सारी रे भजन लिरिक्स
भजन की नहीं विचारी रे थारी म्हारी कर कर उमर खो दी सारी रे भजन लिरिक्स |
Bhajan Ki Nahi Vichari Re Thari Mhaari Kar Kar Umar Kho Di Sari Re Bhajan Lyrics
छंद :- तन की शोभा निवण हैं,
धन की शोभा दान।
वचन की शोभा मधुरता,
मन की शोभा ज्ञान।
मन की शोभा ज्ञान,
ध्यान ईश्वर का धरणा।
जीणा हैं दिन चार,
भलाई जुग में भरणा।
सत्पुरुषों के बीच में,
वार्ता जीवे जिनकी।
राम बक्स गुण कहत,
सील से शोभा तन की।
श्लोक :- भजन बिना नहीं मानवी,
पशु कहो चाहे भूत।
लादू नाथ सत्संग बिना,
ये जम मारेला जूत।।
भजन की नहीं विचारी रे,
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
नव दस मास गर्भ के माही,
घणो दुखयारी रे,
अब तो बायर काड,
भक्ति करसू थारी रे।
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
बाल पणे में लाड लडायो,
माता थारी रे,
भरी जवानी भयो दीवानों,
तिरिया प्यारी रे।
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी,
पड्यो हजारी रे,
धर्म बिना थू रितो जासी,
कोल विचारी रे।
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
जब थने कहता बात धर्म की,
लागे खारी रे,
कोड़ी कोड़ी खातिर लेवे,
राड़ उधारी रे।
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
रुक गया कंठ दसू दरवाजा,
मण्ड गी ग्यारी रे,
कहत कबीर सुणो भाई सन्तों,
करणी थारी रे।
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
भजन की नही विचारी रे,
भजन की नाय विचारी रे,
थारी म्हारी कर कर,
उमर खो दी सारी रे।।
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