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    काया (हंसला) के भजन संग्रह लिरिक्स

    छोड मन तू मेरा-मेरा, अंत में को‌ई नहीं तेरा भजन हिंदी लिरिक्स

    छोड मन तू मेरा-मेरा, अंत में को‌ई नहीं तेरा भजन हिंदी लिरिक्स
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    अंत में कोई नहीं तेरा

    छोड मन तू मेरा-मेरा,
    अंत में को‌ई नहीं तेरा।

    धन कारण भटक्यो-फिर्‌यो,
    रच्या नित नया ढंग।
    ढूँढ-ढूढकर पाप कमाया,
    चली न कौड़ी संग।
    होय गया मालक बहुतेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा।
    छोड मन…..

    टेढी बाँधी पागड़ी,
    बण्यो छबीलो छैल।
    धरतीपर गिणकर पग मेल्या,
    मौत निमाणी गैल।
    बखेर्‌या हाड-हाड तेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा।
    छोड मन…..

    नित साबुनसैं न्हा‌इयो,
    अतर-फ़ुलेल लगाय।
    सजी-सजायी पूतली तेरी ,
    पडी मसाणाँ जाय।
    जलाकर करी भसम-ढेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा॥
    छोड मन…..

    मदमातो, करड़ो रह्यो,
    राक्या राता नैन।
    आयानें आदर नहिं दीन्यो,
    मुख नहिं मीठा बैन।
    अंत जम-दूत आय घेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा॥
    छोड मन…..

    पर-धन, पर-नारी तकी,
    पर चरचा स्यूँ हेत।
    पाप-पोट माथे पर मेली,
    मूरख रह्यो अचेत।
    हु‌आ फिर नरकाँ में डेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा॥
    छोड मन…..

    राम-नाम लीन्यो नहीं ,
    सतसँग स्यूँ नहिं नेह।
    जहर पियो, छोड्यो इमरत नै,
    अंत पड़ी मुख खेह।
    साँस सब बृथा गया तेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा॥
    छोड मन…..

    दुरलभ देही खो द‌ई,
    करम कर्‌या बदकार।
    हूँ हूँ करतो मर्‌यो तूँ ,
    गयो जमारो हार।
    पड्‌यो फिर जनम-मरण फ़ेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा॥
    छोड मन…..

     

    काम-क्रोध मद-लोभ तज,
    कर अंतर में चेत।
    मैं’ ‘मेरे’ ने छोड़ हृदै सें ,
    कर श्री हरि स्यूँ हेत।
    जनम यूँ सफल होय तेरा।
    अंत में को‌ई नहीं तेरा।

    छोड मन तू मेरा-मेरा,
    अंत में को‌ई नहीं तेरा।

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