सिर पे विराजे गंगा की धार भजन लिरिक्स | Sir Pe Viraje Ganga Ki Dhar Bhajan Lyrics

    Shiv Bhajan

    • 15 Mar 2025
    • Admin
    • 506 Views
    सिर पे विराजे गंगा की धार भजन लिरिक्स | Sir Pe Viraje Ganga Ki Dhar Bhajan Lyrics

    सिर पे विराजे गंगा की धार,
    कहते है उनको भोलेनाथ,
    वही रखवाला है इस सारे जग का |


    हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है  सर्पो की माला,
    माथे पे चन्द्र सोहे अंगो पे विभूति लगाये,
    भक्त खड़े जयकार करे,
    दुखियो का सहारा है मेरा भोलेबाबा,
    वही रखवाला है इस सारे जग का |

    सिर पे विराजे गंगा की धार,
    कहते है उनको भोलेनाथ,
    वही रखवाला है इस सारे जग का |


    काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी,
    अंगो पे विभूति रमाये देखो वो है अवघडदानी,
    भक्त तेरा गुणगान करे,
    दुखियो का सहारा है मेरा भोलेबाबा,
    वही रखवाला है इस सारे जग का |

    सिर पे विराजे गंगा की धार,
    कहते है उनको भोलेनाथ,
    वही रखवाला है इस सारे जग का |

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