गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि लिरिक्स
प्रकाशित: 16 Apr, 2025
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स्वाप नगर में जनम होयो माँ सन चोदह माहि
देबो जी संग फेरा लीन्हा साखी म परणायी
बिजली ज्यूँ थारी साडी चमके कोरां से छायी
सूरज सामी बण्यो देवरों लाल ध्वजा फहराई
गंगासिंह ने गोरा लेग्या परदेशा माहि
राजा तुम्हरो जोर दिखावो सिंह से करो लड़ाई
गंगासिंह ने करुणा किन्ही लाज राख माई
आज मलेछा घात विचारयो तू मेरी लाज बचाई
गंगासिंह की करुणा सुनके लागी खाताही
चील होयके चली भवानी पलका म आई
सूत्या शेर न राजा छेड्यो उठ गादड भाई
हाक मारकर उठया बबरची रोही गरणाई
सिंह भूप का मडया अखाड़ा भारत के माही
पेली खान्डो दुर्गा मारयो सिंह की नाड उड़ाई
गंगासिंह की जीत कराकर बिकाणे ल्याई
राजा सामी आवता ही पेली पुजवाई
भूल चूक की माफ़ी दीज्यो गलती है सा ही
"चिमनो" अरज करे दुर्गा से रामो पीर मिलाई
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