इंच्छा पोर धरी धन काया भजन लिरिक्स
इंच्छा पोर धरी धन काया भजन लिरिक्स ||
Inchchha Por Dhari Dhan Kaya Bhajan Lyrics
इंच्छा पोर धरी धन काया,
इंच्छा पोर धरी धन काया,
डरता ही नाम दिखाया ए हा,
सूतो जीव अचेत नींद मे,
सूतो जीव अचेत नींद मे,
पियु को आयो जगाया रे संतो,
मेरा भेद मे पाया हा,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
ना कोई मेरे छाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा।। ।।
कारण काज तिरीयो इन जुग मे,
कारण काज तिरीयो इन जुग मे,
गुरुमुखी ग्यान सुनाया ए हा,
अरे भडक्या जीव भरमना उपजी,
भडक्या जीव भरमना उपजी,
ओयक शिश निवाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
ना कोई मेरे छाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा।। ।।
तपीयो जीव चरन रे माई,
तपीयो जीव चरन रे माई,
त्राटक डोर तोनाया ए हा,
आव गमन अलग कर दिनी,
आवा गमन अलग कर दिनी,
दूर कियो दुखदाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
ना कोई मेरे छाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा।। ।।
कर्म खाइ कोने कर दिना,
कर्म खाइ कोने कर दिना,
सत का वचन सुनाया ए हा,
चन्दन सा कहे तन डंका,
चन्दन सा कहे तन डंका,
अमरलोक पहुँचाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
ना कोई मेरे छाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा।। ।।
इच्छा पोर धरी धन काया,
डरता ही नाम दिखाया ए हा,
सूतो जीव अचेत नींद मे,
सूतो जीव अचेत नींद मे,
पियु को आयो जगाया रे संतो,
मेरा भेद मे पाया हा,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
मै हूँ ब्रह्म अटल अविनाशी,
ना कोई मेरे छाया रे संतो,
मेरा भेद मै पाया हा।। ।।
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