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    बाबा रामदेव जी का इतिहास हिंदी लिरिक्स || Baba Ramdev Ji Ka Itihas Hindi Lyrics

    बाबा रामदेव जी का इतिहास हिंदी  लिरिक्स ||  Baba Ramdev Ji Ka Itihas Hindi Lyrics

    बाबा रामदेव जी का इतिहास हिंदी  लिरिक्स || 

    Baba Ramdev Ji Ka Itihas Hindi Lyrics

     

     

     

    बाबा रामदेव – एक नाम जो हर किसी की जुबान पर है।

    राजस्थान के इस महान संत और लोक देवता ने अपने जीवन से पूरे देश को प्रेरित किया है।

    उनका जन्म, उनका जीवन और उनके चमत्कार – सब कुछ इतना रोमांचक और प्रेरणादायक है।

     

     

     

    बाबा रामदेव जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया, गरीबों और पीड़ितों

    की सेवा की, और अपने अद्भुत कार्यों से लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई।

    आज भी उनके भक्त देश-विदेश में फैले हुए हैं और श्रद्धा से उनका नाम लेते हैं।

    लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

    उनके माता-पिता कौन थे? बचपन में उन्होंने क्या-क्या लीलाएं कीं?

    युवा अवस्था में उन्होंने क्या महान कार्य किए जिनसे वो लोकदेवता कहलाए?

    और अंत में उन्होंने संसार से विदा कैसे ली?

     

     महान संत श्री रामदेव जी के बारे मे -


    राजस्थान के बाड़मेर जिले के ऊंडु काशमीर गांव में जन्मे रामदेव जी

     जिन्हें बाबा रामदेव, रामसा पीर, और पीरो के पीर के नाम से भी जाना जाता है,

    एक प्रतिष्ठित लोक देवता हैं। वे मेघवाल परिवार के सायर जी मेघवाल के वंशज थे

    और उनकी माता का नाम मगनी पवार था। रामदेवजी (Ramsa Peer)

    की पूजा केवल राजस्थान और गुजरात में ही नहीं, बल्कि भारत के

    कई अन्य राज्यों में भी श्रद्धा के साथ की जाती है।

     

     

    बाबा रामदेव जी एक प्रसिद्ध लोकदेवता हैं जो 15वीं शताब्दी में राजस्थान में

    अवतरित हुए। उनका जन्म विक्रम संवत् 1409 में भाद्रपद मास की

    दूज को पोकरण के निकट रुणिचा में तोमरवंशीय राजपूत शासक

    राजा अजमल जी के घर हुआ था। कहा जाता है कि उनके जन्म के समय

    सभी मंदिरों में घंटियां स्वयं बजने लगीं, महल का पानी दूध में बदल गया

    और कुमकुम के पदचिन्ह दिखाई दिए।

    उस काल में भारत में लूट-खसोट, छुआछूत, हिन्दू-मुस्लिम झगड़े

    आदि के कारण स्थितियां अराजक थीं और भेरव नामक राक्षस का आतंक था।

    ऐसे विकट समय में बाबा रामदेव ने अवतार लिया। उन्होंने समाज में व्याप्त अत्याचार, वैर-द्वेष और छुआछूत का विरोध किया तथा अछूतोद्धार का सफल आंदोलन चलाया।

     

     

     

    बाबा रामदेव के परचे :-

    एक कथा के अनुसार मक्का से आए पांच पीरों के सामने उन्होंने

    उनकी खोई हुई खाने की सीपियां प्रकट कर दीं जिससे प्रभावित होकर

    उन पीरों ने बाबा रामदेव को पीरों का महापीर स्वीकार किया।

    बाबा रामदेव ने विक्रम संवत् 1442 में समाधि ली।

     


    बाबा रामदेवजी (Baba Ramdev ji), भारत के एक महान लोक देवता,

    सम्पूर्ण देश में अपनी अनुपम प्रसिद्धि के लिए जाने जाते हैं।

    पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसे

    विभिन्न राज्यों में उन्हें ‘रामसापीर’, ‘रुणीचा रा धणी’, और ‘बाबा रामदेव’

    जैसे कई नामों से सम्मानित किया जाता है।

    बाबा रामदेवजी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे छूआ-छूत और

    जातिवाद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया।

    हिन्दू धर्म में उन्हें कृष्ण का अवतार माना जाता है,

    जबकि मुस्लिम समाज उन्हें ‘रामसा पीर’ के रूप में पूजा करता है।

     

    उनके बड़े भाई वीरमदेवजी को बलराम भगवान का अवतार माना जाता है,

    जबकि स्वयं बाबा रामदेवजी को विष्णु का अवतार माना जाता है।

    उन्होंने कामड़िया पंथ की स्थापना की और बालीनाथ से शिक्षा प्राप्त की।

    मान्यता है कि बाल्यावस्था में ही उन्होंने सातलमेर के मरु क्षेत्र में

    तांत्रिक भैरव राक्षस का वध कर उसकी आतंक को समाप्त किया।

     

    बाबा रामदेवजी (Baba Ramdev ji) ने अपने समय में

    जनता को अनेक कष्टों से मुक्त किया और पोकरण कस्बे को पुनर्जीवित किया।

    उन्होंने रामदेवरा (रुणेचा) में रामसरोवर का निर्माण करवा कर अपने

    भक्तों को एक स्थायी स्थल प्रदान किया।

    उनकी धर्म बहन डाली बाई ने उनकी आज्ञा से जलसमाधि ली थी

    और उनका मंदिर उनकी समाधि के पास स्थित है।

    उनकी सगी बहन सुगना बाई का विवाह पुंगलगढ़ के

    राजपूत परिहार राव किशन सिंह से हुआ था।

    उनके वंशज मृतक को दफनाने की परंपरा निभाते हैं।

    हर साल भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से

    एकादशी तक रामदेवजी का मेला भव्य रूप से मनाया जाता हैI

     

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