मधुराष्टकम्: अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स
🌼 मधुराष्टकम् – Shri Krishna Madhurashtakam Lyrics in Hindi
लेखक: श्री वल्लभाचार्य | संस्कृत भजन | श्रीकृष्ण की मधुरता का दिव्य स्तुति
🎵 मधुराष्टकम् श्लोक – संस्कृत में:
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥
॥ इति श्रीमद वल्लभाचार्य विराचितं मधुराष्टकं संपूर्णम् ॥
📖 मधुराष्टकम का भावार्थ (Summary & Meaning in Hindi)
"मधुराष्टकम्" श्री वल्लभाचार्य द्वारा रचित एक अत्यधिक भावपूर्ण और दिव्य स्तुति है, जो भगवान श्री कृष्ण की मधुरता और उनकी हर लीला के आकर्षण को बयान करती है। इस स्तुति में भगवान श्री कृष्ण के हर अंग, गुण और क्रिया को "मधुर" (मधुरता) से ओतप्रोत बताया गया है, जैसे कि उनके अधर, वाणी, रूप, नृत्य, गीत, चरण, वंशी, और अन्य सब कुछ। प्रत्येक श्लोक में कृष्ण की मधुरता का अभिव्यक्ति है, जिससे यह भजन भक्तों के हृदय में कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति और प्रेम जाग्रत करता है।
यह भजन न केवल कृष्ण के प्रति प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह हर व्यक्ति को उनके शाश्वत रूप और अद्वितीय गुणों को पहचानने की प्रेरणा भी देता है। श्री कृष्ण की हर बात और हर क्रिया भक्तों को शांति, सुख और आत्मा की शुद्धि की ओर ले जाती है।
❓ FAQs – मधुराष्टकम के बारे में
**Q1: मधुराष्टकम किसने लिखा?
A: मधुराष्टकम को श्री वल्लभाचार्य जी ने लिखा, जो पुष्टिमार्ग के आचार्य थे। श्री वल्लभाचार्य जी ने कृष्ण भक्ति के मार्ग को फैलाया और उनकी शिक्षाओं के माध्यम से भक्तों को कृष्ण की मधुरता में समर्पण की प्रेरणा दी।
**Q2: मधुराष्टकम का मुख्य भाव क्या है?
A: यह भजन भगवान श्री कृष्ण के हर अंग, रूप, और क्रिया को "मधुर" अर्थात् अत्यधिक आकर्षक और प्रेमपूर्ण रूप में प्रस्तुत करता है। श्री कृष्ण की मधुरता से ही भक्तों के जीवन में प्रेम, भक्ति और शांति का आगमन होता है।
**Q3: क्या मधुराष्टकम का पाठ किसी विशेष दिन किया जाता है?
A: मधुराष्टकम का पाठ विशेष रूप से जन्माष्टमी, एकादशी, और पुष्टिमार्ग के दिन किया जाता है। इसके अलावा, इसे किसी भी समय श्री कृष्ण के भक्तिपूर्ण भाव से पढ़ा जा सकता है, क्योंकि इसका उद्देश्य श्री कृष्ण की मधुरता को महसूस करना है।
**Q4: मधुराष्टकम का भाव क्या है?
A: इस भजन में भगवान श्री कृष्ण की प्रत्येक विशेषता को मधुरता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनका रूप, वाणी, नृत्य, गीत और उनकी प्रत्येक लीला सभी मधुर हैं, और भक्तों के हृदय में प्रेम और भक्ति का संचार करते हैं। यह भजन भक्तों को कृष्ण की दिव्य प्रेम-लीला में डूबने की प्रेरणा देता है।
🙏 लेखक: श्री वल्लभाचार्य
श्रेणी: श्री कृष्ण भक्ति स्तोत्र, संस्कृत भजन
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