गिरधारी आज मायरो भर दे नेनी बाई को | Nani Bai Ko Mayro Bhajan Lyrics In Hindi
प्रकाशित: 17 Jun, 2025
होलिका दहन 2025 (BBD) : जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि: फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर हर वर्ष होलिका दहन का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025, गुरुवार को होगा। कुछ स्थानों पर इसकी पूजा सुबह में की जाती है, जबकि कई जगहों पर शाम को इसका आयोजन होता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस साल भद्रा काल का प्रभाव होलिका दहन के समय को प्रभावित कर सकता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ।
होलिका दहन 2025: शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व
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होलिका दहन हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को यह उत्सव मनाया जाता है, जिसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च 2025, गुरुवार को होगा। शुभ मुहूर्त रात्रि 11:26 से 12:18 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजन और दहन करना शुभ माना जाता है। होली का पौराणिक महत्व राधा-कृष्ण की रंग लीला और शिव द्वारा कामदेव के भस्म होने की कथा से जुड़ा है। रंग वाली होली 14 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। होलिका पूजन में गोबर के उपले, रोली, अक्षत, धूप, नारियल और नई फसल का उपयोग किया जाता है। यह पर्व समाज में प्रेम और सौहार्द्र का संदेश देता है। सभी को होली की शुभकामनाएँ!
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, 13 मार्च को चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर सुबह 10:35 बजे तक रहेगी, इसके बाद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी। भद्रा काल सुबह 10:35 से रात 11:26 बजे तक रहेगा, जिसके कारण इस अवधि में होलिका दहन वर्जित माना गया है।
शुभ मुहूर्त: होलिका दहन का सबसे उत्तम समय रात्रि 11:26 बजे से 12:18 बजे तक रहेगा इस दौरान होलिका दहन करने से शुभ फल प्राप्त होंगे।
14 मार्च 2025, शुक्रवार को रंगों का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर 12:23 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी, जिसके बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ होगी। रंगों की होली मुख्य रूप से दोपहर बाद खेली जाएगी।
होलिका पूजन के दौरान कुछ विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें पानी से भरा पात्र, गोबर के उपले, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, धूप, फूल, कच्चा कपास, हल्दी, साबुत मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, और नई फसल जैसे गेहूं शामिल होते हैं। पूजन करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें, होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा स्थापित करें और विधिपूर्वक पूजन करें। इसके पश्चात होलिका की सात बार परिक्रमा करें और श्रद्धा के साथ इसे जलाएं।
प्रकाशित: 17 Jun, 2025
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